Shodashi - An Overview
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In One more depiction of hers, she's proven to be a sixteen-12 months-previous younger and sweet Woman decorated with jewels with a stunning shimmer plus a crescent moon adorned above her head. She is sitting down around the corpses of Shiva, Vishnu, and Brahma.
This classification highlights her benevolent and nurturing areas, contrasting with the intense and delicate-fierce natured goddesses within the group.
देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥
Saadi mantras are more accessible, useful for typical worship and to invoke the existence on the deity in everyday life.
This mantra is surely an invocation to Tripura Sundari, the deity being tackled in this mantra. It is just a request for her to satisfy all auspicious needs and bestow blessings on the practitioner.
प्रणमामि महादेवीं परमानन्दरूपिणीम् ॥८॥
हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां
देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं
It can be need that turns the wheel of karma, and that retains us in duality. It truly is Shodashi who epitomizes the burning and sublimation of those dreams. It truly is she who permits the working outside of old karmic styles, bringing about emancipation and soul freedom.
श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥
श्रीगुहान्वयसौवर्णदीपिका दिशतु श्रियम् ॥१७॥
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी website जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥